Kisan Andolan : राकेश टिकैत मानसून सत्र में संसद तक जाने का मन बना चुके हैं। वो इसके लिए खुले मंच से ऐलान भी कर चुके हैं। मंगलवार को उनके ट्विटर हैंडल से संसद भवन पर प्रदर्शन का एक पोस्टर भी जारी किया है।
Kisan Andolan : राकेश टिकैत मानसून सत्र में संसद तक जाकर वहां प्रदर्शन का मन बना चुके हैं। वो इसके लिए खुले मंच से ऐलान भी कर चुके हैं। अब मंगलवार को उनके ट्विटर हैंडल से संसद भवन पर प्रदर्शन का एक पोस्टर भी जारी कर दिया गया। इस पोस्टर को अब तक 600 से अधिक लोग रिट्वीट कर चुके हैं। इस पोस्टर को उन्होंने ये लिखते हुए ट्वीट किया है कि संसद अगर अहंकारी और अड़ियल हो तो देश में जनक्रांति निश्चित होती है।
इस पोस्टर में संसद भवन की फोटो लगाई गई है, साथ ही एक ओर गेंहू की बालियां भी दिखाई गई है। उसके नीचे बैकग्राउंड में किसानों का विरोध प्रदर्शन करते हुए फोटो भी लगाया गया है। इसी पोस्टर में प्रदर्शन की तारीख 22 जुलाई लिखी गई है, सबसे नीचे हैशटैग करते हुए किसानों का संसद भवन पर प्रदर्शन लिखा गया है।
इससे पहले राकेश टिकैट ने यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा और अहम बयान दिया है। एक टेलीविजन चैनल से बातचीत में उन्होंने यूपी में चुनाव लड़ने को लेकर कहा है- 'हम चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन वोट की चोट देंगे।' बता दें कि टिकैत ने यूपी में पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। दूसरी बार राष्ट्रीय लोकदल से चुनाव लड़े थे, मगर दोनों बार उनकी जमानत जब्त हो गई थी। मालूम हो कि साल 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसको लेकर उन्होंने कहा कि साफ कहा कि वह विधानसभा में चुनाव तो नहीं लड़ेंगे, लेकिन वोट की चोट सरकार को जरूर देंगे।
इसी के साथ उन्होंने एक बात और साफ की है कि वो यूपी विधानसभा चुनाव में किसी भी राजनीतिक पार्टी के पक्ष में वोट नहीं मांगेंगे, जनता समझदार है, जिसे चाहे वोट दे सकती है। साथ ही वो ये भी साफ कर चुके हैं कि वो बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) को भी वोट देने से किसी को मना नहीं करेंगे, लोगों से ये अपील जरूर करेंगे कि वो जिसको वोट देने जा रहे है उसके लिए एक बार विचार जरूर कर लें।
5 सितंबर को बनेगी किसानों आंदोलन की आगे की रणनीति
राकेश टिकैत ने कहा कि शिक्षक दिवस के दिन यानी 5 सितंबर को एक बड़ी किसान पंचायत का आयोजन किया जाएगा, जिसमें किसान आंदोलन के लिए आगे की रणनीति बनाई जाएगी। टिकैत के एक बयान का हवाला देते हुए कहा गया था कि किसान संगठनों ने यूपी और पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कमर कस ली है। टिकैत ने कहा था कि किसानों नेताओं के सामने चुनाव लड़ने का विकल्प खुला है।