राजधानी लखनऊ में दिन प्रति दिन जालसाज़ों एवं अपराधियों के हौसले बुलंद ही होते जा रहे हैं अभी एक ताज़ा मामला पुराने लखनऊ के राजाजीपुरम स्थित थाना ताल कटोरा का सामने आया है जहाँ जालसाज़ द्वारा फ़र्ज़ी प्रमाण पत्रों के ज़रिये पुलिस की मिली भगत से दुसरे की सम्पत्ति बेच कर कर ली इतिश्री ।
ज्ञाताव्य है कि एजाज़ नामक जालसाज़ द्वारा न्यायालय में चल रहे धोका धड़ी एवं फ़र्ज़ी दसतावेज़ बनवाने को लेकर दुसरे की सम्पत्ति हड़पने जैसे संगीन मुक़दमे के चलते उक्त सम्पत्ति की रजिस्ट्री कर उक्त जालसज़ ने इतिश्री कर क़ानून और न्यायालय का उड़ाया मखौल, हैरत इस बात की है कि जिस भवन को बेचा गया उसका प्रकरण तमाम मीडिया और पुलिस विभाग में चर्चित होने एवं न्यायालय में मुक़दमा विचाराधीन होने के ब वजूद कैसे बिक गया ?
बताते चलें कि एजाज़ नामक व्यक्ति द्वारा पहले सभी ज़रूरी फ़र्ज़ी दसतावेज़ बनवाए गए जिसकी समय रहते पुलिस में मुक़दमा दर्ज हुआ और उक्त एजाज़ धोका धड़ी जाल साज़ी में जेल गया परन्तु पुलिस द्वारा सत्यता जानते हुए धारायें हलकी रखी गयीं जिसके कारण उसकी ज़मानत तुरंत हो गई पीड़िता काफ़ी बीमाऱ होने के बा वजूद थाने एवं उच्च अधिकारियों के चक्कर लगाती रही और न्याय के लिए दर दर भटकती रही न्याय के बदले उसे सिर्फ मायूसी ही हाथ लागी,यही नहीं उक्त जालसज़ के साथ थाना क़ैसरबाग़ से लेकर थाना तालकटोरा तक की पुलिस की भूमिका संदिग्ध ही रही हद तब हो गई जब पीड़िता के पुत्र को थाना तालकटोरा प्रभारी निरीक्षक रिकेश कुमार ने फ़ोन कर बुलाया और रात भर थाने में बैठाया और रात में ही उक्त भवन पर क़ब्ज़ा करवा दिया और दुसरे दिन 151, में पीड़िता के पुत्र का चालान कर दिया,सालों से अपराध पर अपराध कर रहे जालसाज़ पर क्यों लखनऊ की पश्चिमी पुलिस है मेहेरबान,
जेल से छूटने के बाद गवाहों पर दबाव बनाने एवं मारपीट मामले दर्ज हुई थी कैसरबाग थाने में एफआईआर,बीती दिनाक 03 जुलाई 2023 को उन्ही फ़र्ज़ी दस्तावेजों के आधार पर उक्त भवन को बेच डाला जबकि उक्त सम्पत्ति की मालिक पीड़िता शमीम बानो के पिता जिनका स्वर्गवास हो चुका है,मामला खुल जाने के बाद अब चार दिन से पीड़िता का पुत्र थाने चौकी के लगा रहा हैं चक्कर
दो दिन पहले भी डीसीपी पश्चिम को दिया था शिकायती प्राथना पत्र लेकिन नही हुई जालसाज़ एजाज़ पर किसी तरह की कोई कार्यवाही
आखिरकार क्यों छोटे छोटे अपराधियों को बड़ा अपराध करने की मिलती है छूट?
आखिरकार क्यों इन जैसे अपराध करने वाले अपराधियों पर देर से पड़ती हैं पुलिस की नजर ?
कहना गलत न होगा कि बड़े अपराधी बनाने में पुलिस का ही अहम् रोल होता है ऐसे एक नहीं कई मामले सामने आये हैं।
अगर पुलिस इन छोटे-छोटे अपराध पर और अपराध करने वाले अपराधियों पर शुरु से शिकंजा कसे तो अपराधियों का वर्चस्व खत्म होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।